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आज जो कुछ थोड़े से लोग इस दुनिया को बचा सकते हैं
उनमें ओशो हैं। दुर्भाग्य से प्रसार माध्यमों एवं सिरफिरे पढ़े-लिखे लोगों ने उनकी प्रतिमा मलिन करने का प्रयास चलाया है। हम सभी को इसके प्रति सजग होना चाहिए।
सभी बुद्धपुरुष अपने समय में उपेक्षित एवं अपमानित रहे हैं। सभी ने उन्हें दुर्लक्षित रखने का प्रयास किया है।
ओशो जैसे बहुत कम बुद्धपुरुष ऐसे होते हैं जो अपने समय को प्रभावित कर देते हैं। इसलिए उन्हें प्रस्थापितों का विरोध भी उतना ही होता है।
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