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और /कसको देख कर कह)गे? सोए लोग क’ जमात ह है। तरह0रह क’ नींद) ह1। अलगअलग ढंग ह1 सोए होने के । कोई पद क’ शराब पी कर सोया है। ले/कन सार मनुंयता सोयी
ह7 है। 8ज9ह) तुम धािम:क कहते हो वे भी धािम:क नहं है ु , य/क $बना जागे कोई धािम:क
नहं हो सकता है। /हंद ह1 ू , मुसलमान ह1, ईसाई ह1, जैन ह1–ले/कन धािम:क मनुंय का कोई
पता नहं चलता। धािम:क मनुंय हो तो /हंद नहं हो सकता ू है। ये सब सोए होने के ढंग ह1।
कोई म8ःजद म) सोया हआ है ु , कोई मं/दर म) सोया है। म1 एक बड़े ?यारे आदमी को जानता
था। सरल थे, अदभुत Aप से सरल थे! और आCनेय भी थे, अ8Cन क’ तरह दCध कर द)।
नाम था उनका–महा-मा भगवानदन। वे जब भी बोलते थे तो बीच-बीच म) Eक जाते।
कहते, “बायां हाथ ऊपर करो। अब दायां हाथ ऊपर करो। अब दोन हाथ ऊपर करो।’ /फर
कहते, “दोन हाथ नीचे कर लो।’ म1ने उनसे पूछा /क यह बीच-बीच म) Eक कर लोग से
कवायद य करवानी? तो वे कहते, “यह तो मुझे पका हो जाए /क लोग जागे सुन रहे ह1
/क सोए ह1!’ और म1ने देखा /क यह सच था। जब वे कहते बाय) हाथ ऊपर करो, तो कु छ
तो करते ह नहं, कु छ दाय) कर देते।
रजब ने ह नहं, जो भी जागे उ9हने संबोधन ह /कया है सोए हए लोग को। ु ु सोए हए
को जगाना है। रजब का यह वचन बड़ा ?यारा है। पूरा वचन समझने जैसा है।
“8खन 8खन द8खया द8Cधये ु , $वरह $वथा तन पीर।
धड़ पलक म) $बनिसए, यूं मछली $बन नीर।।’
8खन 8खन द8खया द8Cधये ु ! लोग दCध हो रहे ह1 दख म)। ]ण ु -]ण दख ह दख। ूितपल ु ु
दख ह दख। और तो कु छ जाना ह ु ु नहं।
या है तुHहारा जीवन? जरा प9ने पलटो। अपनी कथा को देखो। aयथा ह aयथा है। हर
प9ने पर दख के दाग ह1। हर प9ने पर पीड़ा क’ िलखावट है। ु हर प9ने पर आंसू टपके ह1।
8खन 8खन द8खया द8Cधये जैसे कोई आग म) जलता हो ु ! और तुम पूछते हो /क नक: है या
नहं? नक: म) जीते हो और पूछते हो /क नक: है या नहं! मेरे पास लोग आ जाते ह1, वे
पूछते ह1 /क नक: है या नहं? म1 उनसे कहता हंू, “पागल! और तुम सोचते हो /क तुम हो
कहां! नक: म) ह हो। कहं और कोई नक: नहं है।’ यह सोच रहे ह1 कहं और भी नक: होगा।
नक: भी यहं, ःवग: भी यहं है। नक: जीवन क’ शैली है। यह कोई भौगोिलक ःथान नहं।
म1ने सुना, जब पहला Aसी अंतZर] याऽी चांद का पZरॅमण करके लौटा तो भुmेव ने उससे
पूछा–एकांत म) ःवभावतः, $बलकु ल अके ले म)–कहा /क दरवाजा भी बंद कर दे। पूछा /क
एक बात बता, चांद का चकर लगा कर आया, ईpर /दखाई पड़ा?
उसने मजाक /कया। उसने कहा, “हां, ईpर है।’ भुmेव ने कहा, “मुझे पहले संदेह था /क
होगा। मगर कसम खा ली /क /कसी और को न बताना।’
जो संमहालय माःको म) बनाया गया है, चांद से लाई गयी िमqट, प-थर का जहां संमह
है, अंतZर] के संबंध म) जो अब तक खोज हई है ु , िचऽ िलए गये ह1, उनका संमह है–
उसके rार पर िलखा हआ है /क हमारे अंतZर] याऽी चांद पर ु पहंच गये और उ9हने एक ु
बात सुिन8mत Aप से पायी /क वहां कोई ईpर नहं है।