Product Description
आनंद के अतिरिक्त परमात्मा के निकट पहुंचने का और कोई द्वार नहीं है।
दुख का भाव नहीं, निराशा नहीं, उदासी नहीं, अंधकार नहीं; आनंद की भाव-दशा, अनुग्रह का भाव, धन्यवाद, कृतज्ञता मनुष्य के जीवन में क्रांति लाती है और प्रभु के मंदिर के द्वार पर उसे खड़ा कर देती